POCSO Act

June 15, 2017 | Autor: Rudra Pratap Singh | Categoria: Non-Governmental Organizations (NGOs)
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लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अगधगियम, 2012

े िाथ वणणवाल, बाल अगधकार कायणक्ाण शष

पोक्सो कािि ू क्या है ?  प्रोटे क्शन

ऑफ़ चिल्ड्रे न फ्रॉम सेक्सअ ु ल ओफेंसेस एक्ट का संचिप्त रूप पोक्सो कानन ू है.  18 साल से कम उम्र के सभी बच्िे (िाहे लड़का हो या लड़की) चिनके साथ चकसी भी तरह का लैंचिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास चकया िया हो, तो वह इस कानन ू के दायरे में आता है.  पोक्सो कानन ू के अंतिगत आने वाले मामलों की सन ु वाई चवशेष न्यायालय में होती है.  इस कानन ू के अंतिगत बच्िों को सेक्सुअल असॉल्ड्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोनोग्राफी िैसे अपराधों से सुरिा प्रदान इया िया है.  यह कानन ू 14 नवम्बर, 2014 से पुरे देश में लाि ू है.

पोक्सो कािि ू की खाश बातें  पोक्सो

कानन ू की धारा – 3 के तहत पेनेट्रेचटव सेक्सअ ु ल असॉल्ड्ट (प्रवेशन लैंचिक हमला) को पररभाचषत चकया िया है.  अिर कोई व्यचि चकसी बच्िे के शरीर के चकसी भी चहस्से में प्राइवेट पाटग या अन्य वास्तु डालता है या बच्िे से ऐसा करने को कहता है, तो उसे प्रवेशन लैंचिक हमला माना िया है.  इसके चलए धारा – 4 में सिा तय की ियी है. दोषी पाए िाने पर मुिररम को 7 साल से लेकर आिीवन कारावास तक की सिा और िम ु ागना तय की िई है.

 कोई

पचु लसकमी, टीिर, हॉचस्पटल स्टाफ या चफर कोई ऐसा व्यचि चिसकी देखरे ख में बच्िा हो या चिसपर बच्िा को भरोसा हो, अिर वह बच्िे के साथ प्रवेशन लैंचिक हमला करता है, अथवा दो या उससे अचधक ज्यादा लोि चमलकर ऐसी हरकत करते हैं, तो ऐसे मामले को िुरुतर प्रवेशन लैंचिक हमला माना िाता है.  दोषी करार चदए िाने के बाद मुिररम को धारा – 6 के तहत 10 साल से लेकर आिीवन कारावास की सिा और िुमागना हो सकती है.

 धारा-7

के तहत सेक्सअ ु ल असॉल्ड्ट (लैंचिक हमला)को पररभाचषत चकया िया है। अिर कोई व्यचि चकसी बच्िे के प्राइवेट पाटग को टि करता है या अपने प्राइवेट पाटग को बच्िे से टि कराता है तो धारा-8 के तहत 3 साल से लेकर 5 साल तककैद हो सकती है।  कोई पुचलस कमी, टीिर, हॉचस्पटल स्टाफ या चफर कोई ऐसा व्यचि, चिसकी देखरे ख में बच्िाहो या चिसपर बच्िा को भरोसा हो, अिर वह बच्िे के साथ सेक्सुअल असॉल्ड्ट करता है, अथवा दो या उससे ज्यादा लोि चमलकर ऐसी हरकत करते हैं, अथवाहचथयार के बल परऐसा चकया िाता है तो ऐसे मामले में दोषी करार चदए िाने के बाद मुिररम को धारा-10के तहत 5साल से लेकर 10 साल तक की सिा और िुमागना हो सकता है।

 बच्िों के

साथ सेक्सअ ु ल हैरेसमेंट (लैंचिक उत्पीडन) को धारा11 में पररभाचषत चकया िया है। अिर कोई व्यचि िलत चनयत से बच्िों के सामने सेक्सुअल हरकतें करता है, या उसे ऐसा करने को कहता है, पोनोग्राफी (अश्लील साचहत्य) चदखाता है तो धारा – 12 के तहत 3 साल तक कैद की सिा और िम ु ागना हो सकता है।  धारा – 13 के तहत अिर कोई व्यचि बच्िों का इस्ते माल पोनोग्राफी के चलए करता है तो यह भी िंभीर अपराध है। ऐसे मामले धारा – 14 के तहत 5 साल से लेकर उम्र कैद तक की सिा और िम ु ागना हो सकता है।

 िो

कोई व्यचि/ संस्था/ कंपनी लैंचिक अपराध के मामले को ररपोटग करने में चवफल रहता है उसे क्रमशः धारा – 21(1) एवं (2) के तहत छः माह एवं एक वषग के कारावास और िुमागना से दचडडत चकया िायेिा ।  पोक्सो कानन ू की सम्बंचधत धाराओं के अंतिगत चितनी िल्ड्दी संभव हो प्राथचमकी (FIR) दिग चकया िायेिा और ररपोटग दिग करने वाले व्यचि को प्राथचमकी की मुफ्त प्रचत दी िाएिी [चनयम 4 (2) (क)]  िााँि अचधकारी चबना चवलम्ब चकये 24 घं टे के भीतर पोक्सो के मामले को बाल कल्ड्याण सचमचत एवं चवशेष न्यायालय को ररपोटग करें िे [धारा – 19 (6)]

 धारा

– 28 के अंतिगत इस प्रकार के मामलों के चलए चवशेष न्यायलय का प्रावधान है ।  बच्िे की बात को उसके घर पर ही अथवा बच्िे की पसंद के स्थान पर पुचलस अचधकारी द्वारा ररकॉडग चकया िायेिा । पुचलस अचधकारी पद में सब इंस्पेक्टर (SI) से नीिे का नहीं होिा [धारा – 24 (1)]  पुचलस अचधकारी बच्िे की पहिान पचललक और मीचडया िाचहर होने से सुरचित करे िा तथा न्यायालय की आज्ञा के चबना बच्िे के सम्बन्ध में िानकारी नहीं दी िाएिी [धारा – 24 (5)]

 मामला

िलने के दौरान परू ी प्रचक्रया, िैसे - सबत ू िटु ाना, िााँि करना, सुनवाई करना मामले की ररपोचटिं ि और ररकॉचडिं ि करना आदी के समय बच्िे के चहत को देखते हुये काम चकया िायेिा ।  पचु लस अचधकारी मचहला होिी अथवा लडके के मामले में परु ु ष पदाचधकारी भी हो सकता है ।  पुचलस के द्वारा सबत ू को 30 चदन के भीतर ररकॉडग चकया िायेिा[धारा – 35 (1)]  चवशेष न्यायलय यथासंभव अपराध का संज्ञान चलए िाने की तारीख से एक वषग की अवचध के भीतर ट्रायल (चविारण) को परू ा करे िा [धारा – 35 (2)]

 चकसी

भी बच्िे को चकसी भी पररचस्थचत में रात को थाना में नहीं रखा िायेिा [धारा – 24 (4)]  बच्िे की बात को ररकॉडग करते समय पुचलस पदाचधकारी वदी में नहीं होिा [धारा – 24 (2)]  िााँि अचधकारी यह सुचनचित करे िा चक चकसी भी समय या चकसी भी प्रकार से अचभयुि बालक के संपकग में नहीं आये [धारा – 24 (3)]  बच्िे का बयान उसी की भाषा में दिग चकया िाये िा [धारा – 19 (3)]  अिर बच्िा अलि भाषा बोलता है तो इसमें इसमें चद्वभाषीय की सहायता ली िाएिी [धारा – 19 (4)]

 धारा

– 26 (3) के तहत अिर बच्िा सन ु ने, बोलने, देखने आदी से चवकलांि हो, तो ऐसे में चवशेष चशिक से मदद ली िाएिी िो बच्िे की बात समझ सके । इसका भुितान राज्य सरकार द्वारा चकया िायेिा  बच्िे का मे चडकल िााँि माता-चपता या अचभभावक की उपचस्थचत में चकया िायेिा । अिर वे उपललध नहीं हों तो वैसे व्यचि की उपचस्थचत में चिसपर बच्िे का चवश्वास हो [धारा – 27 (3)]  अिर पीचड़त व्यचि बच्िी है तो मे चडकल िााँि मचहला डॉक्टर द्वारा चकया िायेिा [धारा – 27 (2)]

 िहााँ

संभव है वहां सचु नचित करें चक बालक के कथन को श्रव्य-दृश्य माध्यम से सहायक व्यचि की उपचस्थचत में दिग करें [धारा – 26 (4)]  सीआरपीसी 164 के तहत कथन का अचभलेखन माता-चपता/ सहायक व्यचि की उपचस्थचत में चकया िायेिा [धारा – 26 (1)]  सहायक व्यचि चनयुि करने के चलए िााँि अचधकारी बाल कल्ड्याण सचमचत से अनुरोध करे िा और इस सम्बन्ध में 24 घंटे के अन्दर चवशेष न्यायालय को सचू ित करे िा [चनयम – 4(7)(9)]

 िााँि

अचधकारी बालक/ माता-चपता/ संरिक/ सहायक व्यचि को सहायक सेवाओं की प्राप्यता एवं सम्बंचधत व्यचि से संपकग की सि ू ना देंिे [चनयम– 4 (2) ङ ]  यचद अपराध चकसी बालक द्वारा चकया िया है तो मामले को चकशोर न्याय बोडग द्वारा सुना िायेिा न चक चवशेष न्यायालय द्वारा [धारा – 34 (1)]  चद्वभाचषयों/ अनुवादकों/ चवशेष चशिकों की सहायता राज्य सरकार की बाल संरिण ईकाई से ली िाएिी [धारा – 26 (2) एवं चनयम – 3 (1)]

 इस

कानन ू के अनुपालन की मोचनटररं ि धारा – 44 के अंतिगत राष्ट्ट्रीय बाल अचधकार संरिण आयोि एवं राज्य बाल अचधकार संरिण आयोि द्वारा चकया िायेिा ।  चवशेष चकशोर पचु लस ईकाई/ िााँि अचधकारी द्वारा बालक और उसके माता-चपता या सहायक व्यचि को चनम्न सुिना दी िाएिी [चनयम – 4(12)] (i)सरकारी और चनिी आपात और संकटकालीन सेवाओं की उपललधता (ii) पीचड़त को मुआबिे से सम्बंचधत िानकारी (vii)न्याचयक कायग वाचहयों की िानकारी चिसपर या तो बालक के उपचस्थत होने की अपेिा की िई है या वह उपचस्थत होने का हक़ रखता है

“अिर पोक्सो कािि ू की हो जािकारी तो गमले बचपि को यौि गहंसा से आज़ादी”

धन्यवाद !

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